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सिद्ध शाबर मंत्र

योगीराज यशपाल जी

प्रकाशक : रणधीर प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2019
पृष्ठ :264
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 8791
आईएसबीएन :00000000

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शाबर मन्त्र सरल भाषा में और शीघ्र प्रभावी होते हैं

Ek Break Ke Baad

अत्यंत सरल भाषा में पाए जाने वाले सभी मन्त्र शाबर मन्त्र कहलाते हैं। ये मन्त्र होते तो हैं अत्यन्त सरल भाषा में परन्तु इनका कोई अर्थ नहीं होता। यह भी नहीं कहा जा सकता कि शाबर मन्त्र केवल एक ही भाषा के अधिकार में आते हों क्योंकि यह सभी बोली जाने वाली भाषाओं में पाए जाते हैं। भाषा की स्थिति तो ऐसी है कि गाँव-गाँव की गूढ़ शब्दावली में भी मन्त्र पाए जाते हैं। कोई-कोई मन्त्र तो ऐसा है कि उसमें एक से अधिक भाषाओं का प्रयोग किया गया है।

शास्त्रीय (संस्कृत) मन्त्रों का आयोजन अपने आप में एक अर्थ रखता है। कोई भी मन्त्र हो यदि उसका अर्थ स्पष्ट नहीं है तो वह शास्त्रीय मन्त्र नहीं है। बीज मन्त्रों का भी अपना अर्थ होता है परन्तु शाबर मन्त्र अर्थयुक्त तथा अर्थहीन दोनों प्रकार के पाए जाते हैं। गोस्वामी तुलसीदास जी ने शाबर मन्त्रों को तथा उनके प्रभाव को देखकर सत्य ही कहा था कि-

अनमिल आखर अरथ न जापू।
प्रगट प्रभाव महेश प्रतापू।।

हो सकता है कि तुलसी के समय तक शाबर मन्त्र अर्थ को स्पष्ट न करते हों परन्तु आज अपना अर्थ बताने वाले शाबर मन्त्र भी पाए जाते हैं।

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